Menu
blogid : 12607 postid : 713678

दाऊजी की होरी और हुरंगा

vevaak mahesh
vevaak mahesh
  • 45 Posts
  • 14 Comments

जैसे ही गली में ढप ढोल की आवाज सुनाई दी गली की सारी औरत और बच्चे हाथों में रंग की पिचकारी और गुलाल ले के निकल लिये बाहर, सैकड़ों की तादात में हुरियारे रंग बिरंगे हुलिया में तरबतर

किसी ने सर पर टोपी पहन रक्खी है तो किसी ने चेहरे पर गुलाल से ही फूल पत्ते बना रक्खे है आँखों में काजल की रेख किसी के हाथ में तेल से चिकना किया हुया लट्ठ है तो किसी के हाथ में रंग की भरी बड़ी पिचकारी ,

हर कोई अपनी अपनी मस्ती में मस्त, होरी के गीतों पर नाच नाच कर बड़ा ही अच्छा समा बना रक्खा है एक हुरियारे ने अपने हाथ में झंडा थाम रक्खा है , झंडा एक डंडे के ऊपर पेड़ पत्तों को बाँध कर बड़े से पेड़ की तरह एक प्रतीक बनाया जाता है जिसमें गुब्बारे इत्यादि टांग दिये जाते हैं, गालियों में जो भी औरत दिखाई देती है उसको होरी के गीतों और चुटकुलों से छेड़ने से कोई बाज नही आ रहा है चाहे वो उस हुरियारी का देवर हो जेठ हो या और कोई बड़ा हो सब होरी में ग़ोरी को छेड़ने का आनंद ले रहे है और ग़ोरी उन अंगूठे दिखा दिखा कर ताने दे रही हैं ,

हुरियारे घरों में जा जा कर गुँझिया, मीठे नमकीन सेब,दही भल्ले, पकोड़ी खा रहे है और एक दूजे को रंग लगाते जा रहे है एक दूसरे को गले लगा लगा कर खूब ठटठा कर रहे है ,

बच्चे भी अपनी हम उमर के बच्चों पर रंग डालने में मस्त है और रंग में पुर भीग भीग कर होरी का पूरा आनन्द ले रहे है कोई ग़ोरी देवर के कपड़े फाड़ ले गयी तो कोई देवर भाभी के चेहरे पर रंग लगाने के लिये जबरदस्ती कर रहा है, इस सब को मिला कर बड़ा ही अनुपम समा बंधा हुया है दाऊजी में होरी का……

दाऊजी मथुरा से 16 किलोमीटर दूर एक तीर्थ स्थल है जहां कृष्ण के बड़े भाई बलदाऊजी की विशाल प्रतिमा शक्ति स्वरूप रेवती जी के रूप में विराजमान है मंदिर के पीछे विशाल क्षीरसागर कुण्ड है जिसमें डुबकी लगा कर यात्रीगण अपना जीवन धन्य करते हैं ….

दाऊजी की होरी जितनी प्रसिद्ध है उससे कंही ज्यादा प्रसिद्ध दाऊजी का हुरंगा है जो धुलेंडी के अगले दिन दाऊजी महाराज के मंदिर प्रांगण में खेला जाता है इस हुरंगा की खास बात होती है इसमें प्रयोग होने वाले रंग की है जो टेसू की फूलों को पानी की होदों में फ़िगोके तैयार किया जाता है , मंदिर की छत पर गुलाल से भरी बोरियाँ रक्खी होती है जिनके उड़ाने से मंदिर प्रांगण और दाऊजी का बातावरण पूरा होरी मय हो जाता है ….

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply